इस्लामिक स्टेट के हमले में मिलिशिया के 10 लोगों की मौत, यहां आईएस फिर से पैर जमाने की कोशिश कर रहा है

इराक के समारा शहर के पास इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के हमले में इराकी मिलिशिया के 10 लोगों की मौत हो गई। इराकी सेना और पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेस (पीएमएफ) ने अलग-अलग स्टेटमेंट जारी कर इस हमले की पुष्टि की है।यहां पिछले कुछ हफ्तों से आईएस लगातार हमले कर रहाहै। यह हमला पिछले दिनों हुए हमलों मेंसे सबसे घातक था। इराक जहां एक ओर कोरोनावायरस के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वहीं, आईएस के बढ़ते हमले नई परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
दिसंबर 2017 में इराक ने आईएस पर जीत हासिल की थी
आईएस ने इराक और सीरिया के लगभग एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया था। यहां पर शरिया कानून लागू था, जो बहुत ही कठोर था। इराक ने तीन साल तक चली लड़ाई के बाद दिसबंर 2017 में आईएस के आतंकियों को अपने देश से खदेड़ दिया था। हाल के महीनों में, आईएस के बचे आतंकियों ने फिर से हमले तेज कर दिए हैं। अब यहां से अमेरिका भी अपने सैनिकों की संख्या कम करने जा रहा है।
पिछले कुछ हफ्तों से लगातार हो रहे हमले
पिछले हफ्ते उत्तरी शहर कुरकुक में एक इंटेलीजेंस ऑफिस पर आत्मघाती हमला हुआ था। इस दौरान तीन सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे। पीएमएफ ने बताया कि पिछले शुक्रवार को तिकरित के मीकेस्फा गांव में मिलिशिया के छह लोगों की हत्या की गई थी। एक और बम विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी।ये सारे हमले राजधानी बगदाद के उत्तर में95 किलोमीटर के क्षेत्र में हुए हैं।
आम नागरिकों की सेना है मिलिशिया
मिलिशिया ऐसी सेना है, जो आम नागरिकों ने मिलकर बनाई है। ये जरूरत पड़ने पर देश की आधिकारिक सेना की मदद करते हैं। इराक में कई तरह के मिलिशिया समूह हैं। इनका एक संगठन है, जिसको पॉपुलर मोबलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) कहते हैं। मिलिशिया की स्थापना इराक के सबसे बड़े शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्लाह अली अल-सिस्तानी ने की थी। दरअसल, आईएस ने इराकी सेना को हराकर तिहाई देश पर कब्जा कर लिया था। इस पर धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्लाह ने लोगों से अपील की थी कि जो लोग स्वस्थ हैं वे सामने और आईएस से लड़ें। आईएस को हराने में मिलिशिया की बड़ी भूमिका रही है।
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