चीन के प्रस्तावित सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शन, भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे

चीन सरकार के प्रस्तावितराष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ रविवार को हॉन्गकॉन्ग में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया।लोगों नेबिनाइजाजत लिए ही मार्च निकालने की कोशिश की। हालांकि, ऐसा करने पर पुलिस ने और उन्हें वहां से जाने के लिए कहा। इस पर भी जब वे नहीं माने तो पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर हमले किए।
कोरोना के कारण चीन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। यहां आठ से ज्यादा लोगों के एक जगह जुटने की इजाजत नहीं है। प्रदर्शनकारियों को सिर्फ स्वास्थ्य पर चर्चा करने के कार्यक्रम की मंजूरी मिली थी।

हॉन्गकाॅन्ग की आजादी के नारे लगाए गए
रविवार दोपहर से ही प्रदर्शनकारीहॉन्गकाॅन्गके व्यस्त इलाके कॉजवे में जुटने लगे। इन लोगों ने ‘हॉन्गकॉन्ग की आजादी, सिर्फ एक रास्ता’ के नारे लगाए। कुछ प्रदर्शनकारियों को आजादी वाले झंडे लहराते भी देखा गया। हॉन्कॉन्ग के लोग लंबे समय से अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। पिछले साल भी लोकतंत्र समर्थकों ने कई महीने तक प्रदर्शन किया था। चीन की ओर से लाए जाने वाले नए सुरक्षा कानून का हॉन्कॉन्ग के लोग विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर यह कानून आता है तो इससे हॉन्गकॉन्ग का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

क्या है चीन का नया सुरक्षा कानून?
चीन के नया सुरक्षा कानून में हॉन्गकॉन्ग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध करने जैसी गतिविधियां रोकने का प्रावधान होगा। इसके तहत चीनी सुरक्षा एजेंसियां हॉन्कॉन्ग में काम कर सकेंगे। फिलहाल हॉन्कॉन्ग में चीन की सुरक्षा एजेंसियां काम नहीं कर सकती। बीते गुरुवार को चीन ने यह कानून बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही लोग इसके खिलाफ हैं। कई मानवाधिकार संगठनों और अंतराष्ट्रीयसरकारों ने भी इस कानून का विरोध किया है।

चीन के पास हमेशा से कानून बनाने का अधिकार था
हॉन्गकॉन्ग के लोगों का मानना है किराष्ट्रीय सुरक्षा देश के स्थायित्व का आधार है। इसमें छेड़छाड़ से उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा। चीन के पास हमेशा से हॉन्गकॉन्ग के मूल कानून में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने का अधिकार था, लेकिन वह अब तक ऐसा करने से परहेज करता रहा। हॉन्गकॉन्ग में सितंबर में चुनाव होने वाले हैं। पिछले साल जैसे लोकतंत्र समर्थकों को कामयाबी मिली, अगर वैसे ही जिला चुनाव में भी कामयाबी मिली तो फिर सरकार को बिल लाने में परेशानी हो सकती है।
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