68 साल में पहली बार जीडीपी में गिरावट; 2019-20 में एक लाख गधे बढ़े, 80 हजार चीन भेजे जाएंगे

68 साल में पहली बार पाकिस्तान की जीडीपी में गिरावट आई है। 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ (-) 0.38% रही। सरकार के आर्थिक सलाहकार अब्दुल हफीज शेख ने इकोनॉमिक सर्वे 2019-20 में गुरुवार को यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि देश की आर्थिक स्थिति पहले ही काफी कमजोर थी, महामारी ने तो हालात बदतर कर दिए।
सर्वे के मुताबिक, मवेशियों के मामले में मुल्क की हालत पहले से बेहतर हुई। इस वित्त वर्ष में एक लाख गधे बढ़े। कुल संख्या 55 लाख हो गई। पाकिस्तान और चीन के बीच एक समझौता है। इसके मुताबिक, पाकिस्तान तीन साल तक हर साल 80 हजार गधे चीन को निर्यात करेगा।भैंसों की तादाद में भी इजाफा दर्ज किया गया।
महामारी ने कमर तोड़ दी
इकोनॉमिक सर्वे 2019-20 के मुताबिक, जीडीपी 0.38 प्रतिशत कम रही। मार्च में आंशिक लॉकडाउन ने करीब-करीब सभी सेक्टर्स की कमर तोड़ दी। हालांकि, एग्रीकल्चर सेक्टर में 2.7 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। इंडस्ट्रियल और सर्विस सेक्टर में नेगेटिव ग्रोथ रही। यही वजह है कि जीडीपी का आकार बजाए बढ़ने के 0.38 फीसदी कम हुआ। हफीज ने कहा- ज्यादातर मुल्कों में लॉकडाउन था। इसी वजह से हमारा एक्सपोर्टबंद था। आईएमएफ पहले ही इस बारे में चेतावनी दे चुका था।
लेकिन, गधे बेशुमार बढ़े
पाकिस्तान की इकोनॉमी के ज्यादातर सेक्टर्स में गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन, मवेशियों (लिवस्टॉक सेक्टर) के मामले में ऐसा नहीं है। इनकी तादाद पहले से काफी बढ़ी। इकोनॉमिक सर्वे में इसकी जानकारी दी गई है। देश में अब गधों की संख्या 54 से बढ़कर 55 लाख हो गई है। पिछले साल एक लाख गधे बढ़े। करीब 12 लाख भैंस भी बढ़ीं। अब इनकी संख्या 4 करोड़ हो गई है। वहीं, तीन लाख बकरियां बढ़ीं। इनकी संख्या 7 करोड़ हो गई है। ऊंटों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
गधों का निर्यात चीन को
पाकिस्तान अपने गधों का सबसे ज्यादा निर्यात चीन को करता है। वहां इनकी स्किन का इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है। जाहिर है पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए गधों की संख्या बढ़ना खुशी की बात है। पिछले साल ‘गल्फ न्यूज’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन ने पाकिस्तान में गधों की संख्या बढ़ाने के लिए तीन करोड़ डॉलर का निवेश किया है। दोनों देशों के बीच एक करार भी हुआ। इसके मुताबिक, पाकिस्तान हर साल 80 हजार गधे चीन को देगा। समझौता तीन साल के लिए है।
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