अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो बोले- यह चीन का जल साम्राज्य नहीं; ऑस्ट्रेलिया ने कहा- चीन के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने शनिवार को कहा कि साउथ चाइना सी चीन का जल साम्राज्य नहीं है। इस पर हमारी नीति बिल्कुल स्पष्ट है। उधर, ऑस्ट्रेलिया ने इस जल क्षेत्र में चीन दावों को खारिज कर दिया है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने दावा किया कि चीन इस क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों पर अपना दावा करता है, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं है। हालांकि, चीन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
पोम्पियो ने कहा कि अगर चीन अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है और देश कुछ नहीं करते हैं, तो वह इस क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लेगा। इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानून के जरिए हल किया जानना चाहिए। इससे पहले अमेरिका ने इस क्षेत्र में चीन की हरकतों को गैरकानूनी बताया था।
दशकों से इस क्षेत्र को लेकर विवाद रहा है। लेकिन, हाल के सालों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वह जिस बड़े क्षेत्र पर दावा करता है, उसे ‘नौ-डैश लाइन’ के रूप में जाना जाता है। उसने इस इलाके में सैनिकों की पेट्रोलिंग को सही ठहराया है। ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम पहले से ही चीन के दावों का विरोध करते रहे हैं। चीन का कहना है कि वह इस क्षेत्र में शांति चाहता है।
2016 का फैसला चीन के खिलाफ
2016 में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने चीन के खिलाफ फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि समुद्र के जल और संसाधनों पर ऐतिहासिक रूप से किसी एक देश के नियंत्रण के कोई सबूत नहीं हैं। हालांकि, चीन ने फैसले को खारिज कर दिया।
क्या है साउथ चाइना सी विवाद
साउथ चाइना सी का यह इलाका इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच है, जो करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। माना जाता है कि इस इलाके में स्थित पारसेल्स और स्प्रैटिल्स आईलैंड को लेकर विवाद ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक, इन द्वीपों के आसपास प्राकृतिक संसाधनों का भंडार हो सकता है।
यहां कई प्रकार की मछलियां भी पाई जाती हैं। हाल के कुछ सालों में चीन ने इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने के लिए बंदरगाह बनाए। साथ ही एक आर्टिफिशियल द्वीप बनाकर सैन्य अड्डे का निर्माण किया। चीन इस इलाके को अपना बताता है और अंतरराष्ट्रीय कानून को मानने से इनकार करता है।
चीन, ताइवान समेत 6 देशों का दावा
साउथ चाइना सी एशिया के दक्षिण-पूर्व का इलाका है। इस क्षेत्र में चीन के अलावा फिलीपींस, ताइवान, मलेशिया, वियतनाम और ब्रुनेई भी अपना दावा करते हैं। चीन इसके दक्षिण हिस्से में है, वहीं ताइवान दक्षिण-पूर्वी भाग पर अपना दावा करता है। इसके पश्चिमी तट पर फिलीपींस है, जबकि पूर्वी तट वियतनाम और कंबोडिया से सटा है। वहीं, उत्तरी हिस्से में इंडोनेशिया है।
साउथ चाइना सी इतना जरूरी क्यों?
कई देशों से जुड़े होने के चलते इस इलाके में जहाजों की आवाजाही भी ज्यादा है। यह दुनिया के सबसे बिजी जल-मार्गों में से एक है। जानकारी के मुताबिक, हर साल इस मार्ग से पांच ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का बिजनेस होता है, जो दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का 20% है। यहां पारसेल्स द्वीप पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैसों का भंडार है। साथ ही इस क्षेत्र में कई प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। बिजनेस के लिहाज से यह इलाका बेहद अहम है।
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