नेपाली प्रधानमंत्री ओली का संसद भंग करने का फैसला, सिफारिश लेकर राष्ट्रपति के पास पहुंचे

चीन से करीबी दिखा रहा नेपाल फिर सियासी संकट में फंस गया है। यहां नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार खतरे में नजर आ रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली संसद भंग करने की सिफारिश लेकर राष्ट्रपति के पास पहुंचे हैं। इस बीच विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने भी आज इमरजेंसी मीटिंग बुलाई।
पार्टी के ज्यादातर नेता ओली के खिलाफ हो चुके हैं। वे कई दिन से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। सीनियर लीडर पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड भी दबाव बनाए हुए हैं। पिछले महीने ही ओली का विरोध कर रहे नौ नेताओं ने बंद कमरे में मीटिंग की थी। इनमें से छह ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा था। मीटिंग के बाद पार्टी प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा था- तमाम बातों पर गंभीरता से विचार किया गया है। कुछ चीजें सामने आई हैं और इन पर बातचीत की जरूरत है।
विरोधियों की मांग
दहल की अगुआई वाले विरोधी खेमे ने ओली को 19 पेज का प्रस्ताव सौंपा था। इसमें सरकार के कामकाज और पार्टी विरोधी नीतियों पर सवाल उठाए गए थे। ओली प्रधानमंत्री के साथ पार्टी अध्यक्ष भी हैं। हालांकि वे पार्टी पर पकड़ खो चुके हैं।
स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में नहीं गए थे ओली
ओली कुछ दिन पहले हुई नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में नहीं पहुंचे थे। इस बैठक में उनके ऊपर लगे आरोपों पर चर्चा होनी थी। हालांकि, उन्होंने चिट्ठी भेजकर इस बैठक में शामिल होने और आरोपों पर सफाई देने से इनकार कर दिया। उन्होंने चिट्ठी में कोरोना महामारी की वजह से बैठक में नहीं शामिल होने की बात कही।
भारत से तल्खी बढ़ने के बाद से ही पुष्प कमल दहल प्रचंड ओली पर इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं। पार्टी के सीनियर नेता राम माधव कुमार नेपाल समेत कई लीडर भी ओली के काम से खुश नहीं है। पार्टी के कुछ नेताओं ने उनसे अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की भी मांग की है।
प्रचंड ने ओली पर लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप
प्रचंड ने पीएम ओली पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और मनमाने ढंग से सरकार चलाने के आरोप लगाए थे। प्रचंड ने ओली के खिलाफ एक राजनीतिक प्रस्ताव भी पेश किया। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में कुछ हल निकलने की उम्मीद थी। ओली और प्रचंड के बीच पहले भी कई चरणों में बातचीत हुई, लेकिन वे भी बेनतीजा रही थी।
चीन के दखल ने बिगाड़े हालात
नेपाल की राजनीति में चीन का दखल सरकार को खतरे में डाल रहा है। कई नेताओं को लगता है कि चीन नेपाल की घरेलू राजनीति में शामिल हो रहा है। इससे पहले भी दो बार ओली सरकार पर संकट आ चुका है। हर बार चीनी दूतावास एक्टिव रहा।
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